बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राज्यभर में चल रहे डिजिटल जमीन सर्वेक्षण के लिए स्वघोषणा प्रपत्र (फॉर्म 2 और 3) जमा करने की अंतिम तिथि 31 मई 2025 तक बढ़ा दी है। यह निर्णय उन हज़ारों किसानों के लिए राहत भरा है जो अभी तक अपने दावे दर्ज नहीं करा पाए हैं, लेकिन विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि इसके बाद कोई भी प्रपत्र नहीं लिया जाएगा। आंकड़ों के अनुसार, अब तक केवल 73% रैयतों ने ही अपने दस्तावेज़ जमा किए हैं। जिन किसानों के पास पुराने खतियान या भूमि के कागजात नहीं हैं, उनके लिए यह अंतिम मौका है कि वे अपनी जमीन का सर्वे करवा सकें। आइए जानते हैं कि क्या हैं इस प्रक्रिया की पूरी जानकारी और कैसे बिना दस्तावेज़ों के भी जमीन का सर्वे संभव ह
Bihar Jameen Survey: क्यों जरूरी है स्वघोषणा प्रपत्र जमा करना?
बिहार सरकार का यह डिजिटल सर्वेक्षण अभियान राज्य की जमीनों पर मौजूद अवैध कब्जों, विवादों और पुराने रिकॉर्ड्स को सुधारने के लिए शुरू किया गया है। इसके तहत हर भूस्वामी को अपनी जमीन का विवरण (खसरा नंबर, मौजा, पुलिस स्टेशन आदि) स्वघोषणा के माध्यम से दर्ज कराना होगा। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “जो लोग इस अवधि में फॉर्म जमा नहीं करेंगे, उनकी जमीन का सर्वे नहीं हो पाएगा और भविष्य में कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।” पहले यह तिथि 31 मार्च थी, जिसे बढ़ाकर अब 31 मई कर दिया गया है।
Bihar Jameen Survey: किन दस्तावेज़ों के आधार पर कर सकते हैं आवेदन?
अगर किसी किसान के पास पुराने जमीन के कागजात (जैसे खतियान, बैंडोबस्त, रजिस्ट्री डीड) नहीं हैं, तो भी वे निम्नलिखित में से किसी एक दस्तावेज़ के आधार पर अपना दावा पेश कर सकते हैं:
- म्यूटेशन अर्जी की रसीद – अगर जमीन का नामांतरण चल रहा है।
- खसरा नंबर का प्रमाण – ग्रामीण कार्यालय या अभिलेखागार से प्राप्त करें।
- पटवारी द्वारा जारी कोई भी प्रमाणपत्र।
- किसान क्रेडिट कार्ड या बैंक लोन के दस्तावेज़ जिसमें जमीन का उल्लेख हो।
- कर भुगतान की रसीदें (अगर पहले कभी भूमि कर दिया गया हो)।
इनमें से किसी भी दस्तावेज़ को संलग्न करके किसान अपना फॉर्म जमा कर सकते हैं।
Bihar Jameen Survey: दस्तावेज़ न होने पर क्या करें?
जिन किसानों के पास कोई भी कागजात नहीं हैं, उन्हें तुरंत अपने गाँव के अभिलेखागार (आर्काइव) या ज़ोनल कार्यालय में जाकर आवेदन देना चाहिए। वहाँ से खसरा नंबर या पुराने रिकॉर्ड्स की प्रति प्राप्त करने के लिए एक आवेदन पत्र लिखकर जमा करें। हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है, इसलिए विभाग ने सलाह दी है कि अगर खसरा नंबर याद हो तो उसके आधार पर भी फॉर्म भरा जा सकता है।
Bihar Jameen Survey: क्या सर्किल ऑफिसर की लापरवाही बन रही है बाधा?
कई किसानों ने शिकायत की है कि म्यूटेशन या नामांतरण के आवेदनों पर सर्किल ऑफिसरों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। कुछ इलाकों में तो भूमि माफिया और दलालों का प्रभाव इतना अधिक है कि सामान्य किसानों को न्याय नहीं मिल पा रहा। ऐसे में विभाग ने किसानों से अपील की है कि अगर उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है तो वे उसकी रसीद के साथ ही स्वघोषणा प्रपत्र जमा कर दें।
Bihar Jameen Survey: क्या इस बार फिर बढ़ेगी तिथि?
विभाग के गोपनीय सूत्रों के अनुसार, 31 मई के बाद कोई भी फॉर्म नहीं लिया जाएगा। हालांकि, अभी तक राजस्व मंत्री संजय सरावगी ने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इस तिथि का इंतजार न करें और जल्द से जल्द अपने नजदीकी सर्वे कैंप में फॉर्म जमा कर दें।
बिहार सरकार का यह सर्वेक्षण अभियान किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है जिससे उनकी जमीन के कागजात पारदर्शी तरीके से तैयार होंगे। अगर आपने अभी तक अपना स्वघोषणा प्रपत्र जमा नहीं किया है, तो 31 मई से पहले ही इसे पूरा कर लें। जिनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं, वे ऊपर बताए गए विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं। याद रखें, इस अवसर को गंवाने के बाद आपको भविष्य में कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।