“Bihar School: बक्सर के स्कूलों में गर्मी से बचाव के लिए DM का ऐतिहासिक फैसला! जानिए कैसे बदलेगी बच्चों की दिनचर्या”

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बिहार के बक्सर जिले में भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों ने स्कूली बच्चों की सेहत को खतरे में डाल दिया है। इस संकट को देखते हुए जिला दंडाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने एक अहम आदेश जारी किया है। 14 मई से 20 मई 2025 तक सभी सरकारी, निजी स्कूल, प्री-स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों की कक्षाएं सुबह 11:30 बजे के बाद बंद रहेंगी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा-163 के तहत लिए गए इस फैसले का उद्देश्य नौनिहालों को हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और तपती धूप से बचाना है। आइए जानते हैं कि क्यों ज़रूरी था यह कदम और कैसे स्कूल व अभिभावक इस चुनौती से निपटेंगे।

Bihar School: DM का बच्चों की सुरक्षा को लेकर ऐतिहासिक आदेश
बक्सर के डीएम अंशुल अग्रवाल ने मौसम विभाग के चेतावनी भरे पूर्वानुमान और लगातार बढ़ते तापमान को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि 45 डिग्री के पार पहुंच चुके मौसम में बच्चों का स्कूल जाना जोखिम भरा है। “हीटवेव के दौरान बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है। ऐसे में उन्हें धूप में निकलने से रोकना हमारी प्राथमिकता है,” डीएम ने बताया। यह आदेश सिर्फ स्कूलों तक सीमित नहीं है, बल्कि आंगनबाड़ी केंद्रों में भी लागू होगा, जहां छोटे बच्चों की देखभाल चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

Bihar School: गर्मी की मार और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव
मई का महीना बिहार में अक्सर लू और सूखे की मार झेलता है, लेकिन इस साल पारा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में डिहाइड्रेशन के लक्षण तेजी से उभरते हैं, जिससे बुखार, चक्कर आना और बेहोशी जैसी समस्याएं होती हैं। बक्सर के कई ग्रामीण इलाकों में तो पीने के पानी का संकट भी गहरा गया है, ऐसे में स्कूलों में बच्चों का समय बिताना और खतरनाक हो जाता है। प्रशासन ने इन्हीं जोखिमों को कम करने के लिए स्कूल टाइमिंग में बदलाव किया है।

Bihar School: कैसे होगी पढ़ाई की क्षतिपूर्ति?
स्कूल प्रबंधनों को निर्देश दिया गया है कि वे ऑनलाइन क्लासेज, प्रोजेक्ट वर्क या सुबह के समय को बढ़ाकर पाठ्यक्रम पूरा करें। शहरी क्षेत्रों के कुछ स्कूलों ने पहले ही डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई शुरू कर दी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की सीमित पहुंच एक चुनौती है। इसके समाधान के तौर पर शिक्षकों को होमवर्क और स्व-अध्ययन सामग्री वितरित करने की जिम्मेदारी दी गई है। डीएम ने स्पष्ट किया कि “शैक्षणिक नुकसान की भरपाई हो सके, इसके लिए प्रशासन स्कूलों के साथ मिलकर काम करेगा।”

Bihar School: अभिभावकों के लिए जारी हुई विशेष गाइडलाइंस
बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने माता-पिता को कुछ खास सलाह दी है। दिन के सबसे गर्म घंटों (11:30 AM से 4:00 PM) के दौरान बच्चों को घर से बाहर न निकलने दें, हल्के रंग के सूती कपड़े पहनाएं, और नींबू पानी, छाछ जैसे तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं। साथ ही, अगर बच्चे में थकान, सिरदर्द या उल्टी के लक्षण दिखें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। एक ग्रामीण अभिभावक रामकली देवी ने बताया, “पहले बच्चे स्कूल से लौटकर बीमार पड़ जाते थे, अब यह फैसला हमारे लिए राहत भरा है।”

Bihar School: क्या यह फैसला भविष्य के लिए एक मिसाल बनेगा?
जिला प्रशासन के इस कदम को शिक्षाविदों और समाजसेवियों ने सराहा है। उनका मानना है कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में अन्य जिलों को भी ऐसे प्रोटोकॉल अपनाने चाहिए। हालांकि, कुछ लोगों ने सवाल उठाया है कि अगर गर्मी और बढ़ी तो क्या स्कूलों को पूरी तरह बंद करना पड़ेगा? डीएम अग्रवाल ने इसपर कहा, “यह फैसला मौसम की वर्तमान स्थिति पर आधारित है। भविष्य में हालात बदलने पर समीक्षा की जाएगी। फिलहाल, बच्चों का स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है।”

निष्कर्ष:
बक्सर जिले का यह निर्णय न सिर्फ बच्चों को गर्मी के प्रकोप से बचाएगा, बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाएगा। जलवायु संकट के इस युग में ऐसे कदम अनिवार्य होते जा रहे हैं। अभिभावकों और स्कूलों की सक्रिय भागीदारी से ही इस चुनौती को सामूहिक रूप से हराया जा सकता है।

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